रिया का दिल एक
धड़कन के साथ रुक गया जब धुंध ने रास्ता दिया और एक दृश्य प्रकट हुआ—उसकी माँ, जो
बचपन के घर के दरवाजे पर खड़ी थीं, उनका चेहरा चिंता से लथपथ था। “रिया, तुम भागते
नहीं रह सकती। दुनिया को तुम्हारी ज़रूरत है। तुम्हें अपनी ताकत से भागना बंद करना
होगा।”
रिया की आँखों में आँसू भर आए। वह हमेशा उन अपेक्षाओं और अपने दिल की सुरक्षा के
बीच फटी हुई महसूस करती थी। “मैं… मैं नेता नहीं बनना चाहती थी,” उसने फुसफुसाते
हुए कहा, जैसे दृश्य उसे सुन सकता था। “मुझे नहीं लगा कि मैं मजबूत enough हूं।
मैं ऐसी ज़िन्दगी जीना चाहती थी जो सिर्फ मेरी हो, जिम्मेदारी से लदी नहीं।”
लेकिन उसकी माँ का दृश्य फीका नहीं पड़ा। इसके बजाय, यह कुछ अंधेरा बन गया, उसके
खुद के अपराधबोध का प्रतिबिंब। “तुम्हें असफल होने का डर है। तुम पर्याप्त न होने
का डर महसूस करती हो।”
“रुको,” रिया ने साँस छोड़ते हुए कहा, अपने टुकड़े को कसकर पकड़े हुए। “मैं पहले
ही इस डर का सामना कर चुकी हूँ।”
लेकिन दृश्य लगातार बना रहा, जैसे एक दम घुटने वाली चादर की तरह उसे लपेट रहा था।
अपेक्षाओं का बोझ, परफेक्ट होने का दबाव उसे कुचलने की धमकी दे रहा था।
किरन ने आगे बढ़कर, अपनी आवाज़ में गहरी भावना के साथ कहा, “रिया, तुम पर्याप्त
हो। हम सब हैं। हम एक साथ यहाँ तक आए हैं। हम अकेले नहीं हैं।”
रिया ने गहरी साँस ली, किरन के शब्दों में आत्मविश्वास पाते हुए। दृश्य हिला और
धीरे-धीरे गायब होने लगा, और उनकी कनेक्शन की गर्मी ने उसे घेर लिया।