
गहरे में उतरने वाला
घुमावदार रास्ता पहले की तरह नहीं था। जैसे-जैसे वे नीचे की ओर बढ़े, हवा घनी होती
चली गई, हर कदम के साथ ठंडी और भारी। जो टुकड़े उनके पास थे, वे हल्की रोशनी देते
थे, लेकिन यह बढ़ते अंधकार को मुश्किल से ही पीछे धकेल पा रहे थे। दीवारें हल्के
से धड़कती हुई महसूस हो रही थीं, जैसे वे जीवित हों, और चारों ओर गूंजते हुए
फुसफुसाते स्वर उनके साथ चल रहे थे, हर मोड़ के साथ तेज होते जा रहे थे।
“यह जगह… गलत लगती
है,” मीरा ने कहा, उसकी आवाज थोड़ी कांप रही थी।
“जैसे अंधकार हमें
देख रहा हो,” किरन बुदबुदाया, अपनी छोटी सी छुरी के हैंडल पर हाथ रखते हुए।
रिया ने अपने टुकड़े
को कसकर पकड़ा, उसकी हल्की गर्मी पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करते हुए। “पास
रहो। रक्षकों ने कहा था कि हमें रोशनी और एक-दूसरे पर विश्वास करना चाहिए।”
फुसफुसाहटें और तेज़
होने लगीं, और शब्द बनकर उनके दिमाग के किनारों को छेड़ने लगीं। पहले वे
अव्याख्येय थे, लेकिन जल्द ही वे स्पष्ट होने लगे।
“तुम यहाँ क्यों
आए?” आवाज़ें फुसफुसाईं। “तुम इसके लायक नहीं हो। तुम असफल होगे।”
रिया ने सिर हिलाया,
आवाज को बाहर करने की कोशिश करते हुए। “यह हमारे दिमाग में घुसने की कोशिश कर रहा
है। इसे मत सुनो।”
लेकिन जैसे ही उसने
यह कहा, आवाज़ें बदलने लगीं, और परिचित स्वर उभरने लगे। मीरा ने अपनी बचपन की
मार्गदर्शक की आवाज़ सुनी, जो नकारात्मक और ठंडी थी। किरन ने अपने पिता की गूंजती
आवाज़ सुनी, जो उसे कमजोर कह रहा था। और रिया… उसने अपनी ही आवाज़ सुनी, जो उसके
फैसलों पर सवाल उठा रही थी और उसकी साहसिकता का मजाक उड़ा रही थी।