भीतर के साए का सामना-अध्यक्ष 31
रिया का दिल एक धड़कन के साथ रुक गया जब धुंध ने रास्ता दिया और एक दृश्य प्रकट हुआ—उसकी माँ, जो बचपन के घर के दरवाजे पर खड़ी थीं, उनका चेहरा चिंता से लथपथ था। “रिया, तुम भागते नहीं रह सकती। दुनिया को तुम्हारी ज़रूरत है। तुम्हें अपनी ताकत से भागना बंद करना होगा।” रिया की आँखों में आँसू भर आए। वह हमेशा उन अपेक्षाओं और अपने दिल की सुरक्षा के बीच फटी हुई महसूस करती थी। “मैं… मैं नेता नहीं बनना चाहती थी,” उसने फुसफुसाते हुए कहा, जैसे दृश्य … Continue reading भीतर के साए का सामना-अध्यक्ष 31